दोहे होली काव्य बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ द्वारा लिखित है। होली के सब पे चढ़े, मधुर सुहाने रंग।पिचकारी चलती कहीं, बाजे कहीं मृदंग।। दहके झूम पलाश सब, रतनारे हो आज। मानो…
धार छंद “आज की दशा” आधारित कविता बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ द्वारा लिखी गयी है। अत्याचार।भ्रष्टाचार।का है जोर।चारों ओर।। सारे लोग।झेलें रोग।हों लाचार।खाएँ मार।। नेता नीच।आँखें मीच।फैला कीच।राहों बीच।। पूँजी जोड़।माथा…
भगवन चाटुकार मैं भी बन जाऊँ।बन्द सफलताओं पे पड़ेतालों की कुँजी पा जाऊँ।। विषधर नागों से नेता, सत्ता वृक्षों में लिपटे हैं;उजले वस्त्रों में काले तन, चमचे उनसे चिपटे हैं;जनता…