निम्नलिखित कविता मित्रता पर निहाल सिंह द्वारा लिखी गई है।
आशा है आप सभी को अच्छा लगा होगा।
नदियाँ की धार है मित्रता
तट है, मझधार है मित्रता
निकृष्ट सी है, मंजुल सी है
झगड़ा है, प्यार है मित्रताअमवा से भी मीठी है ये
परवल से भी कड़वी है ये
लगती है आसव के जैसी
इमली से भी खट्टी है येफूलों की तरह महकती है
कंटियो की तरह चुभती है
गूंजती है अलिंद की तरह
तितलियों की तरह उड़ती हैबारिश का निर्मल पानी है
शीतल हवा की रवानी है
खेतों में लहराती धानी
फसलों कि जैसी सुहानी हैधरणीधर से भी ऊॅंची है
निहाल सिंह, झुन्झुनू ,राजस्थान
रचनाकार से भी गहरी है
कभी दिवा से भी है छोटी
कभी तमी से भी लम्बी है