शालिनी छन्द by Ram Stavan हाथों में वे, घोर कोदण्ड धारे।लंका जा के, दैत्य दुर्दांत मारे।।सीता माता, मान के साथ लाये।ऐसे न्यारे, रामचन्द्रा सुहाये।। मर्यादा के, आप हैं नाथ स्वामी।शोभा…
हरिणी छंद – राधेकृष्णा नाम-रस मन नित भजो, राधेकृष्णा, यही बस सार है।इन रस भरे, नामों का तो, महत्त्व अपार है।।चिर युगल ये, जोड़ी न्यारी, त्रिलोक लुभावनी।भगत जन के, प्राणों…
अनुष्टुप छंद – गुरु पंचश्लोकी| सद्गुरु-महिमा न्यारी, जग का भेद खोल दे।वाणी है इतनी प्यारी, कानों में रस घोल दे।। गुरु से प्राप्त की शिक्षा, संशय दूर भागते।पाये जो गुरु…