आई आपदा

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anant yadav 5215

गजब की माया, गजब की काया,
चाहा जिसको सुधार के रास्ते पर लाया,

देखा आसमान से लगाता बड़ा सयाना,
सामन देख लागत गलत ही निगाह पड़ी,

टिप टप बारिश के पड़े बूंद जमीन पर,
पड़े ऐसे देखें इधर जिधर,

जमीन पर पड़ बन मोती चमका,
चमका कोई हीरा न हो,

थी वो ज़िंदगी बीती बरसात जैसी,
रहती तो बनती बाधा, …

न रहती तो दिक्कत दिक्कत,
बूंद की आगमन से बाग बाग है,

धरा अपना, होती न बूंद तो
हम बस जाता लोगो मे,

कहती बूंद धरा से, हु मेहमान बनकर,
कुछ दिन सह ले,

बरसकर चला जाऊंगा,
भर दूंगा खुशियों से जानें के बाद.

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POETRY book poet's pen by Anant Yadav
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POETRY book poet's pen by Anant Yadav

Student of class 12 Central hindu boys school (CHBS) BHU My YouTube poetry channel
Poetry book poet's pen

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