6 Dreadful Poems on Dowry in Hindi – दहेज़ पर कविता

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Hindi poems on Dowry – दहेज़ प्रथा पर कविता:

दहेज अच्छी चीज है या नहीं इसका कोई सही जवाब नहीं है। इस मामले पर प्रत्येक व्यक्ति की राय उनकी अपनी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और व्यक्तिगत अनुभवों से प्रभावित होने की संभावना है। हालांकि, दहेज के कुछ सामान्य पक्ष और विपक्ष हैं जो विचार करने योग्य हैं। सकारात्मक पक्ष पर, दहेज को किसी की बेटी के लिए एक शानदार भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करने के तरीके के रूप में देखा जा सकता है। कई संस्कृतियों में, दहेज यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि एक बेटी के विधवा होने या उसके पति द्वारा उसे तलाक देने की स्थिति में उसकी आर्थिक देखभाल की जाएगी। एक परिवार को अपनी सामाजिक स्थिति बनाए रखने में मदद करने के लिए दहेज को देखा जा सकता है। नकारात्मक पक्ष पर, दहेज को रिश्वतखोरी या पति खरीदने के रूप में देखा जा सकता है। दहेज परिवार पर आर्थिक बोझ डाल सकता है, खासकर अगर वे अमीर नहीं हैं। कभी-कभी, परिवार कर्ज में डूब जाते हैं या दहेज देने के लिए अपनी संपत्ति भी बेच देते हैं। दहेज घरेलू हिंसा का कारण बन सकता है अगर पति को लगता है कि उसे पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया जा रहा है

अभी भी अनगिनत घटनाएं होती हैं जब लोग सिर्फ इसलिए शादी तोड़ देते हैं क्योंकि कोई व्यक्ति अच्छी राशि का भुगतान करने में असमर्थ होता है। अधिकांश गाँवों के साथ-साथ शहरों का भी यही कड़वा सच है।

आइए दहेज पर आधारित कविताओं की एक झलक हिंदी में देखें, कुछ लोगों को इसका एहसास कराएं। ऐसे भयानक दहेज पर कविताओं का छोटा संग्रह जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा। इसी विषय (दहेज प्रथा) पर मेरी इस छोटी सी कविता को ज़रूर पढ़े। उम्मीद है मेरा हमारा छोटा सा संग्रह आपको ज़रूर पसन्द आएगा।

Hindi Poems on Dowry

1. दहेज प्रथा – Poems on Dowry in Hindi

वो पढी लागे कली सुन्दरता उसकी हैं घनी
वो मिले जो किसी को खिल उठेगी जिन्दगी
पर देखो कैसा खेल हैं इस देश का उलटा रेल है
सवारेगी वो घर किसी का देगा बापू रकम बड़ी
वो……
जो सहारा थी कभी वो आज एक मांग हैं
रो रहे है बाप जिनकी बेटिया संतान हैं
ये बन के शैतान अब डरा रहा हैं समाज को
बना दिया हैं बोझ इसने विश्व जननी जात को
वो़………
बन गए धनवान वो जिनके घर मे जन्मे लाल हैं
हो गए कंगाल वो जहा बेटी जनम जात है
ये सोच है उस समाज का जहा बेटी की वाह वाह हैं
बढा रहे जो देश का हर कदम पे बढ के मान हैं
वो……..
लड़के वाले बैठते हैं छाती फुलाए हुए
मागंते हैं ऐसे जैसे पाने हो चुकाए हुए
लड़की दे कर भी दानी बापू सहमाये हैं
दे कर के नोट भी वो नजरे झुकाए हैं
ऐसे क्या मुहाब्बत की पड़ सके हैं नीव कही
वो…….
पूछीए उस मॉं से क्यो आखो मे संतोष नहीं
होनी थी खुशी उस खुशी मे क्यो जोश नही
सास क्यो बोल रही बोली तानो से भरी
कारण वो मांग हैं जो होगी शादी पे खड़ी
वो……….
सच मे दहेज प्रथा सारा जन्जाल हैं
इससे ही तो घटी बेटी का मान हैं
नई ग्रहस्ती के लिए पुञी सहयोग की
ये बन गई हैं प्रथा आज कालिख इस देश की
वो…………

अरूण कुमार झा ‘बिट्टू’

2. अग्निस्नान – Poems on Dowry in Hindi

आज बहुत खुश थी कान्ता रानी;
उसकी बिटिया रेखा हो गयी सयानी ।

कर दी शुरु रिश्ते की तलाश;
एक अच्छा रिश्ता आया उनके पास ।

जांच की पङताल करायी;
कोई कमी ना सामने आयी।

लडके वाले थे अमीर बडे;
कान्ता को गहने गिरवी रखने पडे।

फिर आयी दहेज की बारी;

धरी रह गयी सारी तैयारी।
लडका बोला गाडी चाहिये ;

शादी से भी पहले चाहिये।
गरीब मां बाप ने हां कर दी ;

अपनी बाकी जमीन भी गिरवी रख दी।
शादी हो गयी धूम धाम से ;

रेखा चली गयी अपने गांव से।
फिर लडके वाले बार बार पैसो की मांग करने लगे ;

रेखा को भी वो परेशान करने लगे।
रेखा रहने लगी परेशान ;

खुद को करना चाहती थी बेजान;
कर लिया उसने अग्निस्नान ।

आओ आज हम एक प्रण ले;
किसी कि बेटी फेर ना जले।

विकास कुमार

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Final words on Poems on Dowry in Hindi

इस दहेज प्रथा को रोकना सबकी जिम्मेदारी है। अगर हम किसी को दहेज लेते देखते हैं, तो हमें उन्हें बताना चाहिए कि उन्हें ऐसा करने से क्यों बचना चाहिए।

यदि आपके पास दहेज से संबंधित कोई कविता है। बेझिझक हमें भेजें और हम यहां इस पोस्ट पर अपडेट करेंगे जो केवल दहेज पर कविता हिंदी में (Poems on Dowry in Hindi) है।

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