Surdas Poems in Hindi: सूरदास एक मध्यकालीन भारतीय कवि और संत थे जो कृष्ण को समर्पित अपने भक्ति गीतों के लिए जाने जाते हैं। उन्हें हिंदी साहित्य के सबसे महत्वपूर्ण कवियों में से एक माना जाता है।
Introduction to Surdas:
सूरदास 15वीं सदी के भक्ति कवि और भारत के संत हैं, जो संगीत पर आधारित अपने भक्ति गीतों के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म भारत के ब्रज क्षेत्र के एक गाँव में हुआ था, और कहा जाता है कि वे जन्म से अंधे थे। उनका जन्म का नाम सिरदास था, लेकिन उन्हें सूरदास के नाम से जाना जाने लगा, जिसका अर्थ है “एक अंधा आदमी”।
सूरदास कवि-संत कबीर और मीराबाई के समकालीन थे, और कहा जाता है कि वे पुष्टि मार्ग, या “अनुग्रह के पथ” के संस्थापक वल्लभाचार्य के शिष्य थे। उनके भक्ति गीत, जिन्हें भजन के रूप में जाना जाता है, ज्यादातर हिंदी भाषा में हैं, और आज भी भारत के विभिन्न हिस्सों में गाए जाते हैं।
सूरदास को हिंदू देवता कृष्ण की स्तुति में उनके भक्ति गीतों के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने कुल मिलाकर लगभग 100,000 गीतों की रचना की थी, लेकिन कुछ सौ ही बचे हैं। उनके गीत सरल और प्रत्यक्ष हैं, और कृष्ण के प्रति उनके गहरे प्रेम और भक्ति को व्यक्त करते हैं।
सूरदास के सबसे प्रसिद्ध गीतों में से एक “सैया मोरी मैं नहीं माखन खायो” है, जिसका अर्थ है “मैं मक्खन नहीं खाऊंगा, मैं केवल कृष्ण को खाऊंगा”। यह गीत आज भी पूरे भारत में कृष्ण के भक्तों द्वारा गाया जाता है।
सूरदास ने एक सरल और विनम्र जीवन जिया, और कहा जाता है कि 100 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें भारत के महान भक्ति कवियों में से एक के रूप में याद किया जाता है, और उनके गीत उन सभी के दिलों में प्रेम और भक्ति को प्रेरित करते हैं जो उन्हें सुनते हैं।
तो चलिए शुरू करते हैं हिंदी की कुछ बेहतरीन सूरदास कविताओं से।
सूरदास की कविता हिंदी में – Poem of Surdas in Hindi
1. मन माने की बात
मन माने की बात
ऊधौ मन माने की बात।
दाख छुहारा छांडि अमृत फल विषकीरा विष खात॥ज्यौं चकोर को देइ कपूर कोउ तजि अंगार अघात।
मधुप करत घर कोरि काठ मैं बंधत कमल के पात॥ज्यौं पतंग हित जानि आपनौ दीपक सौं लपटात।
सूरदास जाकौ मन जासौं सोई ताहि सुहात॥
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2. मन न भए दस-बीस
मन न भए दस-बीस
ऊधौ मन न भए दस-बीस।
एक हुतो सो गयो स्याम संग को अवराधै ईस॥इंद्री सिथिल भई केसव बिनु ज्यों देही बिनु सीस।
आसा लागि रहत तन स्वासा जीवहिं कोटि बरीस॥तुम तौ सखा स्याम सुंदर के सकल जोग के ईस।
सूर हमारैं नंदनंदन बिनु और नहीं जगदीस॥
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3. चोरि माखन खात
चली ब्रज घर घरनि यह बात।
नंद सुत संग सखा लीन्हें चोरि माखन खात॥कोउ कहति मेरे भवन भीतर अबहिं पैठे धाइ।
कोउ कहति मोहिं देखि द्वारें उतहिं गए पराइ॥कोउ कहति किहि भांति हरि कों देखौं अपने धाम।
हेरि माखन देउं आछो खाइ जितनो स्याम॥कोउ कहति मैं देखि पाऊं भरि धरौं अंकवारि।
कोउ कहति मैं बांधि राखों को सकैं निरवारि॥सूर प्रभु के मिलन कारन करति बुद्धि विचार।
जोरि कर बिधि को मनावतिं पुरुष नंदकुमार॥
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4. मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ।
मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ।
मोसौं कहत मोल कौ लीन्हौ, तू जसुमति कब जायौ?कहा करौं इहि के मारें खेलन हौं नहि जात।
पुनि-पुनि कहत कौन है माता, को है तेरौ तात?गोरे नन्द जसोदा गोरी तू कत स्यामल गात।
चुटकी दै-दै ग्वाल नचावत हँसत-सबै मुसकात।तू मोहीं को मारन सीखी दाउहिं कबहुँ न खीझै।
मोहन मुख रिस की ये बातैं, जसुमति सुनि-सुनि रीझै।सुनहु कान्ह बलभद्र चबाई, जनमत ही कौ धूत।
सूर स्याम मौहिं गोधन की सौं, हौं माता तो पूत॥
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5. कबहुं बढैगी चोटी
मैया कबहुं बढैगी चोटी।
किती बेर मोहि दूध पियत भइ यह अजहूं है छोटी॥तू जो कहति बल की बेनी ज्यों ह्वै है लांबी मोटी।
काढत गुहत न्हवावत जैहै नागिन-सी भुई लोटी॥काचो दूध पियावति पचि पचि देति न माखन रोटी।
सूरदास त्रिभुवन मनमोहन हरि हलधर की जोटी॥
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सूरदास की प्रसिद्ध कविताएँ हिंदी में – Surdas famous poems in hindi
1. मैया! मैं नहिं माखन खायो।
मैया! मैं नहिं माखन खायो।
ख्याल परै ये सखा सबै मिलि मेरैं मुख लपटायो॥देखि तुही छींके पर भाजन ऊंचे धरि लटकायो।
हौं जु कहत नान्हें कर अपने मैं कैसें करि पायो॥मुख दधि पोंछि बुद्धि इक कीन्हीं दोना पीठि दुरायो|
डारि सांटि मुसुकाइ जशोदा स्यामहिं कंठ लगायो॥बाल बिनोद मोद मन मोह्यो भक्ति प्राप दिखायो।
सूरदास जसुमति को यह सुख सिव बिरंचि नहिं पायो॥
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2. मुख दधि लेप किए
सोभित कर नवनीत लिए।
घुटुरुनि चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किए॥चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए।
लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए॥कठुला कंठ वज्र केहरि नख राजत रुचिर हिए।
धन्य सूर एकौ पल इहिं सुख का सत कल्प जिए॥
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3. चरन कमल
चरन कमल बंदौ हरि राई,
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै आंधर कों सब कछु दरसाई।बहिरो सुनै मूक पुनि बोलै रंक चले सिर छत्र धराई,
सूरदास स्वामी करुनामय बार बार बंदौं तेहि पाई।
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सूरदास कविताओं पर अंतिम शब्द – Final words on Surdas Poems in hindi
सूरदास एक महान कवि और दार्शनिक थे जो आज भी भारत में पूजनीय हैं। उनकी रचनाओं को हर उम्र के लोग पढ़ते और पढ़ते हैं। उनकी कविताएँ सुंदर कल्पनाओं से भरी हैं और प्रेम और करुणा का उनका संदेश आज भी प्रासंगिक है।
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तो यह सूरदास हिंदी कविताओं का अंत है। हम अगले पोस्ट पर रोमांचक विषय के साथ मिलेंगे।