जन्माष्टमी पर आधारित कविता देवेश दीक्षित द्वारा लिखी गयी है।
बाल कृष्ण मुरली मनोहर
जब भी खेल रचाएं
एक सबक होता उसमें
फिर परमानंद मनाएं
प्रत्येक जीव उनकी धरोहर
उन पर लाड़ लुटाएं
उनकी रक्षा की खातिर वे
दुष्टों को परलोक पहुंचाएं
गैयों-ग्वालों संग खेले मनोहर
वे मुरली मधुर बजाएं
सुन कर मुरली की धुन पे
पशु-पक्षी भी नाचे गाएँ
हे मेरे कृष्ण मुरली मनोहर
संकट घना अब छाए
जैसे-जैसे कलियुग बढ़े
काल मुंह फाड़े आए
है मेरे मुरली मनोहर
शरण में तुम्हारी हम आए
अधर्म का नाश करो फिर से
जिस से पृथ्वी स्वर्ग बन जाए
देवेश दीक्षित