Best Poems on childhood in hindi | बचपन पर कविताएँ हिंदी में [2022 Updated]

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बचपन पर कविता | Childhood Bachpan Poem In Hindi: बचपन हर किसी के लिए बहुत खास होता है। इसमें बहुत सारी खूबसूरत यादें हैं। जब हम बचपन में होते हैं तो हम हमेशा इसका खंडन करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमें पता चलता है कि हमारा बचपन सबसे अच्छा था।

तो चलिए बचपन पर कुछ बेहतरीन कविताओं का आनंद लेते हैं, जो निश्चित रूप से हर कोई संबंधित भी कर सकता है।

Poems on childhood in hindi | बचपन पर कविताएँ हिंदी में:

तिनका तिनका सुख

ये बचपन की यादें जब आती है
मन के बच्‍चे को फिर जगाती है
हंसते खेलते वो सुनहरे पल नये
आज से सुन्‍दर पुराना कलवो रुनझुन
ध्‍वनि हवा का रुखवो चुनना तिनका तिनका सुख

रामगोपाल सांखला ‘गोपी’
Poems on childhood in hindi - Poem 1
तिनका तिनका सुख – Poems on childhood in hindi

बचपन

कुदरत ने जो दिया मुझे ,
है अनमोल खजाना !

कितना सुगम सलोना वो
ये मुश्किल कह पाना !!

दमक रहा ऐसे मानो ,
सोने सा बचपना फिक्र !

फिक्र नही कल की
न किसी से सिकवा गिला !!

मित्रो की जब टोली निकले ,
क्या खाये ,बिन खाये !

बडे चाव से ऐसे चलते
मानो जन्ग जीत कर आये !!

कोमल हाथो से बलखाकर ,
जब करते आतिशवजी !

घुन्घरू बान्धे हुए पैर पर
तब चलती खुशियो की आन्धी !!

उन्हे देख मा की ममता का ,
उमड रहा सैलाब !

मन मन्दिर महका रहा
बगिया का खिला गुलाब !!

अनुज तिवारी इन्दवार
Bachpan - Poems on childhood in hindi
Bachpan – – Poems on childhood in Hindi

कोई लौटा दे मेरे बचपन को !!

हम सब जानते हैं कि हम कितनी कोशिश करते हैं, हम अपना बचपन वापस नहीं पा सकते। बस कुछ भावनाएँ कुछ सुंदर लिखित बचन कविताओं के साथ वापस आ सकती हैं।

वैभव नेगी ने किसी पर बचपन की खूबसूरत कविता साझा की है कृपया मुझे मेरा बचपन वापस दे दो।

कोई लौटा दे मेरे बचपन को
जब बिन बात के मैं रोया करता

माँ मुझे झट से उठा लेती
अश्रु एक न बहता आँख से , पर घर सर पर उठा लेता

दूध न पीने के हज़ार बहाने बनाता
पर माँ एक-हजार -एक तरीकों से पिलाती !

दिन में खूब सोता और रात में अठखेलियाँ करता
माँ को निंद्रा से वंचित करता

फिर भी वो इस बात से खुश होती की मैं आज दिन में अच्छा सोया !!
कोई लौटा दे मेरे बचपन को

पहला दिन स्कूल में जाने से मना करता !
माँ बाहर ही खड़े रहकर देखती !!

आँखों में आंसू लिए जब वापिस आता
की क्यों बनाया स्कूल किसी ने

क्यों मुझसे से मेरी आज़ादी छीनी
बहुत गुस्सा होता ज़मीन पर पाँव रगड़ता

माँ आँचल में भर लेती और कहती
“ठीक है लल्ला कल से मत जाना “!!

मैं इसी बात से खुश हो जाता
नंगे पाँव ही बाहर भागता,

दोस्तों के साथ हुड़दंग करता !!
पसीने से तर , कपड़ो में मल लेकर घर लौटता

भूख़ लगी भूख लगी कहकर घर सर पर उठा लेता
माँ खाना परोसे पहले से तैयार रहती

और कहती “कितना कमज़ोर हो गया है रे !!
कोई लौटा दे मेरे बचपन को !!

Vaibhav Negi

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कोई लौटा दे मेरे बचपन को!
कोई लौटा दे मेरे बचपन को – Poems on childhood in Hindi

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मेरे पास शब्द नहीं

निम्नलिखित बचपन की कविता देवेश दीक्षित द्वारा लिखी गई है।

मासूमियत से भरे बच्चों की
मासूमियत का जवाब नहीं

क्या कहूँ उनके बारे में
मेरे पास शब्द नहीं

पल में रोते पल में हँसते
उनको ये तक ज्ञात नहीं

क्या अच्छा है और क्या बुरा है
मेरे पास शब्द नहीं

बचपन होता कितना प्यारा
जिसमें कोई भेद-भाव नहीं

क्यों पल में खेलें और झगड़ें
मेरे पास शब्द नहीं

तोतली बोली और किलकारी उनकी
उनके समान कोई मासूम नहीं

क्या कहूँ मैं प्रभु की लीला है
मेरे पास शब्द नहीं

मासूमियत से भरे बच्चों की
मासूमियत का जवाब नहीं

क्या कहूँ उनके बारे में
मेरे पास शब्द नहीं।

देवेश दीक्षित
मेरे पास शब्द नहीं - Childhood Poems in Hindi
मेरे पास शब्द नहीं – Childhood Poems in Hindi

मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ

मिटटी में करू अठखेलिया
तुतलाकर माँ संग मै बोलू

क्रीड़ा करू नाना प्रकार की
फिर अंगूठा पीना चाहता हूँ

मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!
जीऊ होकर मस्त कलन्दर

मिल जाए आनंद के वो पल
वारी जाए दूध की नदिया

उसके लिए रूठना चाहता
मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

सुबक सुबक रोउ बिन बात मैं
नयनों से बहती रहे अश्रुधारा

मेरी दशा पे माँ का विचलाना
वो निश्छल प्यार पाना चाहता हु

मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

उठ उठ जाऊं, कभी गिर गिर जाऊं
देख खिलोने, घुटने बल चल जाऊं

मिल जाए तो तोड़ दू क्षणभर मैं
फिर पाने को ऊधम मचाना चाहता हूँ

मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

मम्मी बोले देखो पापा आये
ड्योढ़ी को सरपट दौड़ लगाऊँ

पापा ले गोद मुझे और मैं हरषाऊँ
वो ऊँगली पकड़ चलना चाहता हूँ

मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

मम्मी पूछे क्या पहनोगे
मुख सिकोड़ नखरे दिखलाऊ

नए नए वस्त्रो पर नजर टिकाऊ
राधा-कृष्णा सा रूप धारणा चाहता हूँ

मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

मालुम मुझे बीते पल अब न लोट सके
फिर भी नए-2 सपने सजाना चाहता हु

मैं हुआ उम्रदराज तो कोई बात नहीं
अब बच्चो में वो जीवन जीना चाहता हुँ

हाँ, मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

डी. के. निवातियाँ
मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ - Childhood Poems In Hindi
मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ – Childhood Poems In Hindi

एक बचपन का जमाना था

एक बचपन का जमाना था,
जिस में खुशियों का खजाना था..

चाहत चाँद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दिवाना था..

खबर ना थी कुछ सुबहा की,
ना शाम का ठिकाना था..

थक कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था..

माँ की कहानी थी,
परीयों का फसाना था..

बारीश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था..

हर खेल में साथी थे,
हर रिश्ता निभाना था..

गम की जुबान ना होती थी,
ना जख्मों का पैमाना था..

रोने की वजह ना थी,
ना हँसने का बहाना था..

क्युँ हो गऐे हम इतने बडे,
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था।

कोमल प्रसाद साहू

बचपन पर दिल छू लेने वाला कविता ❣️

हमें बचपन पर हिंदी में एक बेहतरीन वीडियो मिला, उम्मीद है आपको भी पसंद आया होगा।

बचपन पर कविताओं पर अंतिम शब्द

तो अभी के लिए हिंदी में बचपन की कविताओं के लिए बस इतना ही। हम आगामी पोस्टों में विभिन्न विषयों पर हिंदी कविताओं का नया संग्रह लेकर आएंगे। तब तक के लिए अलविदा और सब ख्याल रखना।

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2 thoughts on “Best Poems on childhood in hindi | बचपन पर कविताएँ हिंदी में [2022 Updated]

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